28 April, 2015

दामिनी By Tripti Pandey

आहात हुआ है मन नारी का घायल हुआ है तन नारी का I
बन के दामिनी उठी आवाज परिवर्तन का समय है आज II
तन नारी का नहीं खिलौना जब जी चाह खेल लिया I
नारी ने भी हस्ते हस्ते अबतक ये सब झेल लिया II
अज समय कर रहा पुकार स्वस्थ्य बनाओ अपने विचार I
दीप जलाओ मन में अपने करो उजाला तुम जीवन में II
बड़े गर्व की बात है गर नारी का सम्मान करो I
नारी है अपराजिता इसका हमेसा ध्यान धरो II

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